5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HANUMAN CHALISA

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

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भावार्थ – अपने तेज [शक्ति, पराक्रम, प्रभाव, पौरुष और बल] – के वेग को स्वयं आप ही सँभाल सकते हैं। आपके एक हुंकारमात्र से तीनों लोक काँप उठते हैं।

सोई अमित जीवन फल पावै ॥२८॥ चारों जुग परताप तुह्मारा ।

Hanuman which has a Namaste (Anjali Mudra) posture The which means or origin with the word "Hanuman" is unclear. In the Hindu pantheon, deities normally have quite a few synonymous names, Every based upon some noble characteristic, attribute, or reminder of a deed realized by that deity.

Hanuman leaps and finds the mountain. There, states Ramayana, Hanuman finds the mountain is full of several herbs. He will not know which 1 to consider. So, he lifts the whole Himalayan mountain and carries it across India to Lanka for Lakshmana. His immense strength Therefore aids Lakshmana recover from his wound.[sixty] This legend is the popular basis to the iconography where He's revealed traveling and carrying a mountain on his palm.[61]

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

Eventually, Rama disclosed his divine powers since the incarnation of the God Vishnu, and slew Ravana and the rest of the demon army. Ultimately, Rama returned to his hanuman chalisa property of Ayodhya to return to his position as king. Just after blessing all individuals that aided him in the struggle with items, Rama gave Hanuman his present, which Hanuman threw away.

भावार्थ – हे महावीर! आप वज्र के समान अंगवाले और अनन्त पराक्रमी हैं। आप कुमति (दुर्बुद्धि) का निवारण करने वाले हैं तथा सद्बुद्धि धारण करने वालों के संगी (साथी, सहायक) हैं।

जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी ।..

असुर निकन्दन राम दुलारे ॥३०॥ अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता ।

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व्याख्या – श्री हनुमान जी से अष्टसिद्धि और नवनिधि के अतिरिक्त मोक्ष या भक्ति भी प्राप्त की जा सकती है। इस कारण इस मानव जीवन की अल्पायु में बहुत जगह न भटकने की बात कही गयी है। ऐसा दिशा–निर्देश किया गया है जहाँ से चारों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) प्राप्त किये जा सकते हैं।

.. और यही कारण है निराला जी तुलसीदास को कालिदास, व्यास, वाल्मीकि, होमर, गेटे और शेक्सपियर के समकक्ष रखकर उनके महत्त्व का आकलन करते हैं।

संकटमोचन अष्टक

भावार्थ – जो प्राणी वीरश्रेष्ठ श्री हनुमान जी का हृदयसे स्मरण करता है, उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार की पीड़ाएँ समाप्त हो जाती हैं।

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